एक बार फिर देश के लिए शहीद हो गए हैं हम,
जान अपनी की कुर्बानी, फिर से दे गए हैं हम।
हर एक पल अपने जीवन का,
देशे हित में जो मैंने गुज़ारा था।।
कह गयी ये दुनिया के,
फ़र्ज़ वो हमारा था।
जान कभी न कोई पाया है,
के फ़र्ज़ नहीं चुनाव वो हमारा था।।
देश के जो काम न आए,
वो जीवन किस काम का।
देश पे जो न्योछावर न हो जाए,
वो मौत किस काम की।।
अब जाते-जाते भी मेरे देश की,
चिंता मुझे सता रही है।
मात्र-भक्ति से हमारी,
ये मौत भी हार रही है।।
दशों दिशाओं में अँधेरा घनेरा है,
दुश्मन जो घात लगाए बैठा है।
रक्षा करेगा कौन मातृभूमि की,
क्या किसी माँ का कोई जीवित बेटा है??
सोच रहा हूँ एक सौदा,
आज मौत से मैं करलूँ।
देश अपने की रक्षा के लिए,
जीवन वापिस से मैं ही माँगलूं।।
न जाने कल को कोई,
बेटा आगे आएगा।
इस माँ का क़र्ज़ चुकाने खातिर,
बाज़ी जो जान की लगाएगा।।
बंधन नहीं है कोई मुझ पर,
ईच्छा है ये मेरी।
कहने को फ़र्ज़ है,
पर ज़िन्दगी अब है ये मेरी।।
इस भारती माँ के लिए,
अपना सब कुछ मैं भले हार जाऊँ।
रिश्ते-नाते, सपने अपने
मैं इस देश पे वार जाऊँ।।
खुश रहे, आबाद रहे,
दुआओं में राग ये जपता जाऊँ।
जननी इस मिट्टी के लिए,
मैं बार बार जन्म लेता जाऊँ।।
मैं बार बार जन्म लेता जाऊँ।।।
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